आजकल पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों के स्थान पर नए और ऊर्जा के नवीकरण योग्य स्रोतों जो अपेक्षाकृत स्वच्छ, सुरक्षित और अपार हैं, का इस्तेमाल बढ़ रहा है। आपूर्ति और मांग के बीच बढ़ती हुई खाई की पृष्ठभूमि में यह अनिवार्य हो जाता है कि ऊर्जा स्रोतों में विभिन्नता लाकर वैकल्पिक तरीकों का पता लगाया जाए ताकि देश की ऊर्जा मांग को पूरा करके सतत आर्थिक विकास किया जा सके। बढ़ते हुए पर्यावरणिक सरोकार भी ऊर्जा कंपनियों के लिए गंभीर चुनौती उत्पन्न करते हैं जो अपेक्षाकृत स्वच्छ और पोषणीय ऊर्जा स्रोतों को आरंभ करने की अनिवार्यता पर बल देते हैं।
ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के लिए देश की खोज में इंडियनऑयल अपना ध्यान सीएनजी (कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस), ऑटो गैस (एलपीजी), एथनॉल मिश्रित पेट्रोल, बायोडीज़ल और हाइड्रोजन ऊर्जा पर केंद्रित कर रहा है।
सीएनजी
सीएनजी महानगर गैस लिमिटेड, मुंबई और इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड, दिल्ली की फ्रेंचाइज़ी के तौर पर क्रमश: मुबंई और दिल्ली में इंडियनऑयल के चुनिंदा बिक्री केन्द्रों से बेची जा रही है। आज की तारीख तक सीएनजी मुंबई और दिल्ली प्रत्येक मंल इंडियनऑयल के 13 बिक्री केन्द्रों पर उपलब्ध है। जैसे ही मांग बढ़ेगी इंडियनऑयल अतिरिक्त बिक्री केन्द्र स्थापित करेगा।
ऑटो गैस (एलपीजी)
स्वच्छ बर्निंग ईंधन के तौर पर ऑटो गैस (एलपीजी) अब पूरे देश के 21 शहरों को शामिल करते हुए इंडियनऑयल के 77 बिक्री केन्द्रों पर उपलब्घ है। इंडियनऑयल की योजना है कि वह मार्च 2007 तक वे 62 शहरों को शामिल करते हुए 200 ऑटो गैस डिस्पेंसिंग स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य प्राप्त करेगा।
एथनॉल मिश्रित पेट्रोल
वर्ष 2003 में एक नया पर्यावरण हितैषी ईंधन जिसे 'गैसो होल' के नाम से जाना जाता है, उतारा गया। इस ईंधन में पेट्रोल के साथ 5 प्रतिशत एथनॉल मिलाया जाता है जो पूरे देश में उपलब्ध गन्ने के सीरे से प्राप्त किया जाता है। इंडियनऑयल के अनुसंधान तथा विकास केन्द्र ने 10 प्रतिशत तक एथनॉल मिश्रित करने की व्यवहार्यता स्थापित की है जिसे अब वाहन निर्माताओं से स्वीकृति मिल रही है। भारत ने अपेक्षाकृत अधिक विशेषताओं के साथ पेट्रोल और डीजल में एथनॉल मिश्रण में प्रौद्योगिकी के अंतरण के लिए अप्रैल 2002 में ब्राज़ील के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए हैं।
पेट्रोल के साथ एथनॉल मिलाने से संपूर्ण दहन के लिए अतिरिक्त ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है जिससे ऑटो उत्सर्जन में कार्बन मोनोआक्साइड स्तर कम होते हैं और इसलिए यह अधिक पर्यावरण हितैषी माना गया क्योंकि इससे वायु प्रदुषण में कमी आती है। अब से इसका सबसे अधिक लाभ बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्था के लिए है। जब इसे पूरे देश में कार्यान्वित कर दिया जाएगा तो यह कार्यक्रम ऊर्जा मोर्चे पर हमारी अर्थव्यवस्था को ठोस लाभ पहुंचा सकता है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आरम्भ की गई पायलट परियोजना के सफलतापूर्वक पूरा होने तथा इंडियनऑयल के अनुसंधान तथा विकास केन्द्र द्वारा आयोजित अध्ययनों के आधार पर पहले चरण में 10 राज्यों और 2 संघ शासित क्षेत्रों में 5% एथनॉल पेट्रोल की आपूर्ति आरम्भ की गई है और इसे बाद में देश के सभी हिस्सों में बढ़ाया जाएगा।
बायोडीज़ल
बायोडीज़ल एक वैकल्पिक ईंधन है जिसमें डीज़ल जैसी विशेषताएं होती हैं जिसे वनस्पति तेलों के साथ अल्कोहल की सामान्य रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा संश्लेषित किया जाता है। इसे सामान्यत: विश्व में खाद्य तेलों जैसे सोयाबीन, रेपसीड और पॉमऑयल से बनाया जाता है किन्तु जटरोफा, करंजिया के तेल बीजों वाले अखाद्य पेड़ भारत के लिए पसन्दीदा बीज हैं।
इंडियनऑयल के अनुसंधान तथा विकास केन्द्र ने विभिन्न अखाद्य तेलों विशेष रूप से जटरोफा और करंजिया से बायोडीज़ल बनाने की प्रक्रिया में महारत हासिल की है। बनाया गया बायो डीजल अपने गुण धर्मों के लिए जांचा गया है और यह कड़े अंतर राष्ट्रीय मानकों को पूरा करता है। भारतीय रेल, हरियाणा रोडवेज़, टाटा आदि के सहयोग से 5 और 10% बायो डीज़ल मिश्रणों का इस्तेमाल करते हुए व्यापक फील्ड जांचें की गईं हैं।
अनुसंधान तथा विकास केन्द्र अब देश में बायो डीज़ल को बढ़ावा देने के लिए कई पहलें कर रहा है। एएसटीएम/बीआईएस विशिष्टियों के मुताबिक बायोडीजल की गुणवत्ता जांचने के लिए एक अद्यतन गुणवत्ता वाली प्रयोगशाला स्थापित की गई है। इंडियनऑयल रेलवे की भूमि पर जटरोफा के पौधे लगाने के लिए भारतीय रेलवे के साथ समझौता ज्ञापन में शामिल हुआ है। यह 10 बायोडीजल अधिप्राप्ति केन्द्र भी स्थापित कर रहा है। बायोडीजल मिश्रणों के इस्तेमाल के साथ 10 से 15% तक धुएं के घनत्व में कमी पाई गई है।
हाइड्रोज़न ऊर्जा
हाइड्रोजन में ऊर्जा के स्वच्छ और विश्वसनीय स्रोत जुटाने की संभावना है जिसे परिवहन क्षेत्र सहित प्रयोगों की व्यापक श्रेणी में इस्तेमाल किया जा सकता है। राष्ट्र को ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के अलावा ईंधन सेल वाहन में हाइड्रोजन को इस्तेमाल करने के पर्यावरणिक लाभ महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
इंडियनऑयल का अनुसंधान तथा विकास केन्द्र देश में हाइड्रोजन ऊर्जा इस्तेमाल में प्रवेश करने के लिए हाइड्रोकार्बन क्षेत्र की नोडल एजेंसी है। हाइड्रोजन ईंधन वाली अर्थव्यवस्था के लिए अपने रोडमैप के हिस्से के तौर पर इंडियनऑयल ने हाल ही में फरीदाबाद में अपने अनुसंधान तथा विकास केन्द्र में भारत का पहला हाइड्रोजन-सीएनजी ईंधन डिस्पेंसिंग स्टेशन कमीशन किया है। पायलट स्टेशन ऑन साइट हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण, वितरण और आपूर्ति के साथ व्यावहारिक अनुभव प्रदान करता है। इंडियनऑयल यथा समय वाहन निर्माताओं के समन्वय से हाइड्रोजन-सीएनजी इंजनों के लैब स्केल विकास का कार्य हाथ में लेगा। पता लगाई गई कुछ अन्य परियोजनाओं में एसआईएएम (भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता संघ) के सहयोग से हाइड्रोजन पावर वाले तिपहिया और बस ईंजनों का विकास, सीएनजी तिपहिया और बसों का एच-सीएनजी मिश्रण में रूपांतरण और सुवाह्य जन सेटों के लिए हाइड्रोजन रूपातंरण किटों का विकास शामिल है।
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