इंडियनऑयल का हरित एजेंडा
संयुक्त राष्ट्र के ग्लोबल कॉम्पैक्ट कार्यक्रम के सक्रिय भागीदार के तौर पर इंडियनऑयल पोषणीय विकास के बारे में पूरी तरह स्पष्ट है। प्रमुख प्रतिस्पर्द्धी के तौर पर कॉर्पोरेशन पर्यावरण संरक्षण को अपने मूल कारोबार की बुनियादी प्रतिबद्धता के तौर पर मान्यता देता है।
इस प्रतिबद्धता के हिस्से के तौर पर इंडियनऑयल के सभी प्रचालन यूनिटों और संस्थापनाओं में व्यापक सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण प्रबंध प्रणाली मौजूद है। सुविधाओं की आवधिक रूप से समीक्षा करके उन्हें बेहतर निष्पादन के लिए समय-समय पर उन्नत किया जाता है।
- इंडियनऑयल की सभी रिफाइनरियां निर्धारित पर्यावरणिक मानकों का पूरी तरह से पालन करती हैं और अद्यतन बहि:स्राव उपचार प्रौद्योगिकियां शामिल करती हैं। मौजूदा मानकों और सुविधाओं में और सुधार लाने के लिए नई अद्यतन प्रौद्योगिकियों की शुरूआत करके मानकों को और सुधारने के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं।
- इंडियनऑयल की सभी रिफाइनरियों, पाइपलाइन इंस्टालेशनों और मुख्य विपणन इंस्टालेशनों/टर्मिनलों की पर्यावरण प्रबंध प्रणालियां आईएसओ-14 001 मानकों द्वारा प्रमाणित हैं।
- इंडियनऑयल की सभी रिफाइनरियों को व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा मूल्यांकन सिरीज़ (ओएचएसएएस-18001) के लिए प्रमाणित किया गया है। सभी रिफाइनरियों को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा रेटिंग प्रणाली (आईएसआरएस) के अंतर्गत भी आंका गया है। पानीपत और गुजरात रिफाइनरियां 1-10 के मान में '9 के स्तर' पर आंकी गई हैं।
- सभी रिफाइनरियों में पूर्ण विकसित बहि:स्राव उपचार संयंत्र लगाए गए हैं जिनमें भौतिक, रसायन, जैविक और तृतीयक उपचार सुविधाएं हैं। तैलीय पंक और एसिड टार के लिए क्रमश: 'ऑलिवोरस-एस और ऑलिवोरस-ए' प्रौद्योगिकियां इस्तेमाल की जा रही हैं। उपचारित बहि:स्राव निर्धारित 'मिनास' गुणवत्ता और मात्रा मानकों से कहीं अधिक बढ़िया है। उपचारित बहि:स्राव को रिफाइनरी यूनिटों में 65-70% की सीमा तक पुन: इस्तेमाल किया जाता है। पानीपत रिफाइनरी 1998 में कमीशनिंग के समय से ही शून्य बहि:स्राव को बनाए हुए है।
- इंडियनऑयल रिफाइनरियों ने गैसीय उत्सर्जनों के नियंत्रण के लिए विभिन्न उपाय अपनाए हैं। इन उपायों में कम सल्फर वाले ईंधन तेल का इस्तेमाल, रिफाइनरी ईंधन गैस का डिसल्फराइजेशन, भभूका गैसों के बेहतर छितराव के लिए ऊँची चिमनियां, उन्नत प्रक्रिया नियंत्रण प्रणालियां और ईंधन खपत को कम करने के लिए ऊर्जा संरक्षण उपाय शामिल हैं।
- इंडियनऑयल रिफाइनरियों में सल्फर डाइऑक्साइड के उत्सर्जन पर्यावरण और वन मंत्रालय और राज्य प्रदूषण बोर्डों द्वारा निर्धारित सीमाओं से कहीं अधिक नीचे हैं। स्वचालित सतत निगरानी उपकरणों के साथ परिवेशी वायु निगरानी केन्द्र सभी रिफाइनरियों में लगाए गए हैं। मथुरा रिफाइनरी ने विशेष रूप से रिफाइनरी और आगरा शहर के बीच तीन परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन और चौथा स्टेशन भरतपुर में लगाया है। आसपास के क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता के संबंध में रिफाइनरी प्रचालनों के प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए अत्यधिक ध्यान दिया जाता है ताकि परिवेशी वायु गुणवत्ता संवेदनशील क्षेत्रों के लिए निर्धारित सीमाओं के भीतर रहे।
- इंडियनऑयल की बहुत सी निफाइनरियों ने ईंधन की गुणवत्ता सुधारने और उत्सर्जनों को कम करने के लिए गौण संसाधन यूनिट कमीशन किए हैं। हाल ही कुछ कमीशनिंगों में मथुरा रिफाइनरी में हाइड्रोजन यूनिट और डीज़ल हाइड्रो ट्रीटर यूनिट तथा मथुरा और हल्दिया रिफाइनरी में मोटर स्पिरिट गुणवत्ता परियोजनाएं शामिल
हैं। सभी रिफाइनरियों में सल्फर रिकवरी यूनिट लगाए गए हैं।
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हरित पहलें
- अप्रैल 1996 से महानगरों में लो सल्फर (0.5%) डीजल लागू किया गया।
- सितम्बर, 1996 से पर्यावरणिक रूप से संवेदनशील ताज क्षेत्र में, अक्तूबर 1997 से दिल्ली में तथा पूरे देश में 1 जनवरी, 2000 से एक्ट्रा लो सल्फर (0.25%) डीज़ल लागू किया गया।
- 2001 में महानगरों में 0.5% सल्फर मात्रा के साथ डीज़ल लागू किया गया।
- 1 फरवरी, 2000 से पूरे देश में सीसा रहित मोटर स्पिरिट (पेट्रोल अथवा गैसालीन) उपलब्ध कराया गया।
- 13 शहरों/ राज्यों में यूरो-III उत्सर्जन मानकों को पूरा करने वाले हरित ईंधन (पेट्रोल और डीज़ल) पहले ही लागू किए जा चुके हैं, बाकी देश में बीएस-II ईंधन मिल रहे हैं।
- इंडियनऑयल 2010 तक देश के सभी हिस्सों में यूरो-III अनुपालित ईंधनों के लक्ष्य को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। मुख्य शहर यूरो-IV अनुपालित ईंधन तब तक अपग्रेड कर लेंगे।
- इंडियनऑयल ने अब तक अपनी रिफाइनरियों में हरित ईंधन परियोजनाओं में लगभग 7,000 करोड़ रुपए की राशि का निवेश किया है। जारी परियोजनाओं पर 5,000 करोड़ रुपए की और राशि खर्च होगी।
- मथुरा रिफाइनरी में मोटर स्पिरिट गुणवत्ता सुधार यूनिट कमीशन किया गया। इसी प्रकार के यूनिट तीन और रिफाइनरियों में लगाए जा रहे हैं।
- डीज़ल गुणवत्ता सुधार सुविधाएं इंडियनऑयल की सभी सातों रिफाइनरियों में मौजूद हैं, कुछ और हरित ईंधन परियोजनाएं कार्यान्वयनाधीन है अथवा कार्यान्वित किए जाने की तैयारी में हैं।
- इंडियनऑयल का अनुसंधान तथा विकास केन्द्र पर्यावरण हितैषी बायोडीग्रेडेबल ल्यूब फॉर्मूलेशनों के सूत्र तैयार करने में लगा हुआ है।
- केन्द्र पर्यावरण प्रबंध प्रणलियों के लिए आईएसओ-14000-1996 के अंतर्गत प्रमाणित है।
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